What is lipedema – लिपेडेमा क्या है ?

What is lipedema – लिपेडेमा क्या है? और भारतीय महिलाओं में इसकी संभावना अधिक क्यों होती है?

इस स्थिति का इलाज आमतौर पर जीवनशैली और आहार में बदलाव के साथ किया जाता है और कुछ मामलों में चिकित्सा उपचार भी दिया जाता है।

भारत में मोटापे की बढ़ती महामारी ने स्वास्थ्य और जीवनशैली को लेकर कई चिंताएं बढ़ा दी हैं। सामाजिक कारणों के चलते भारतीय महिलाएं इस समस्या का अधिक सामना कर रही हैं। हाल ही में लिपेडेमा चर्चा में है जिसमें शरीर में अत्यधिक वसा जमाव महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है।

लिपेडेमा एक पुरानी बीमारी है जिसमें कूल्हों जांघों और पैरों में असामान्य रूप से वसा जमा हो जाती है। यह स्थिति मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करती है और अक्सर इसे मोटापा या लिम्फेडेमा समझने की गलती की जाती है।

उन्होंने बताया कि यह एक प्रगतिशील बीमारी है जिसके लक्षण दर्दनाक होते हैं और आहार व व्यायाम से प्रबंधित करना कठिन होता है। लिपेडेमा के पीछे आनुवंशिक और हार्मोनल कारण प्रमुख होते हैं जो आमतौर पर किशोरावस्था गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान उभरते हैं।

लिपेडेमा का संबंध रक्त में लिपिड्स (वसा) की उपस्थिति से है। इसमें हाइपरलिपिडेमिया जैसी स्थितियां शामिल होती हैं जहां कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ जाता है जिससे हृदय रोगों का खतरा हो सकता है।

लिपेडेमिया आहार अनुवांशिकता जीवनशैली और अन्य अंतर्निहित स्थितियों से प्रभावित होता है। हाइपोथायरायडिज्म जैसी चयापचय संबंधी बीमारियां भी कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बढ़ा सकती हैं। इस स्थिति का इलाज आमतौर पर जीवनशैली और आहार में बदलाव के साथ किया जाता है और कुछ मामलों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।

भारतीय महिलाओं में लिपेडेमिया होने के 5 प्रमुख कारण:

1.आनुवांशिक प्रवृत्ति – दक्षिण एशियाई विशेष रूप से भारतीय महिलाओं में आनुवंशिक रूप से डिसलिपिडेमिया की प्रवृत्ति अधिक होती है जिससे कम उम्र में ही कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ सकता है।

2.आहार संबंधी आदतें – परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट ट्रांस फैटी एसिड और तले हुए खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन साथ ही प्रोटीन और फाइबर की अपर्याप्त मात्रा असामान्य लिपिड स्तर का कारण बनती है।

3.हार्मोनल परिवर्तन – पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति जैसी स्थितियां लिपिड मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती हैं जिससे लिपेडेमिया हो सकता है।

4.निष्क्रिय जीवनशैली – कई भारतीय महिलाएं खासकर शहरी क्षेत्रों में घरेलू कामकाज या नौकरी के कारण गतिहीन जीवनशैली अपनाती हैं जिससे मोटापा और चयापचय संबंधी रोग बढ़ते हैं।

5.स्वास्थ्य जांच में देरी – सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण भारतीय महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ कर देती हैं जिससे रक्त में लिपिड असंतुलन का देर से पता चलता है और उपचार में देरी होती है।

अस्वीकरण: यह लेख सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी दिनचर्या शुरू करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

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